What Does Shodashi Mean?

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

The Mahavidya Shodashi Mantra supports emotional stability, selling healing from past traumas and internal peace. By chanting this mantra, devotees discover launch from unfavorable feelings, establishing a well balanced and resilient way of thinking that assists them encounter daily life’s problems gracefully.

॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं

As just one progresses, the 2nd phase consists of stabilizing this newfound consciousness by disciplined procedures that harness the brain and senses, emphasizing the important role of Power (Shakti) With this transformative method.

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

It can be wish that turns the wheel of karma,  and that retains us in duality.  It's Shodashi who epitomizes the  burning and sublimation of such desires.  It is actually she who makes it possible for the Functioning out of previous  karmic patterns, bringing about emancipation and soul independence.

She is also known as Tripura for the reason that all her hymns and mantras have a few clusters of letters. Bhagwan Shiv is thought to get her consort.

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।

The Mahavidyas are a group of 10 goddesses that symbolize various elements of the divine feminine in Hinduism.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की click here ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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